चान्दन/बांका। चान्दन प्रखंड क्षेत्र में छठ पूजा, सूर्य भगवान को समर्पित चार दिवसीय त्योहार पूरे शांति माहौल में मनाया गया। शांति व्यवस्था को लेकर चांदन कलुआ नदी घाट में चांदन प्रखंड विकास पदाधिकारी राकेश कुमार, चांदन स्वास्थ्य प्रभारी डॉ एके सिन्हा एवं थानाध्यक्ष नसीम खान पुलिस दलबल के साथ मुस्तैद रहे। कल छठ का पहला अर्घ्य व्रती द्वारा पूरी विधि विधान से दिया गया। आज व्रती चांदन प्रखंड क्षेत्र में तालाब, नदी आदि पानी के स्रोत में खड़े होकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया गया। प्रसाद की वस्तुओं से भरे बांस से बने सूप और टोकरियों को घाट पर श्रद्धालुओं द्वारा ले जाया गया। जहां सूर्य देव और छठी मैय्या को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन भक्त न कुछ खाते हैं और न ही जल पीते हैं। निर्जला व्रत छठ के चौथे या अंतिम दिन के सूर्योदय तक जारी रहता है जब सूर्य भगवान और छठी मैय्या को उषा अर्घ्य दिया जाता है। छठ के अंतिम दिन अर्घ्य के बाद, बांस की टोकरियों से प्रसाद पहले व्रतियों द्वारा खाया जाता है और फिर परिवार के सभी सदस्यों और व्रतियों के साथ- साथ गांव मोहल्ले में भी वितरित किया जाता है। छठ प्रसाद को तैयार करने के लिए एक खास तैयारी की जाती है जो त्योहार के तीसरे दिन से शुरू होने वाले त्योहार में बहुत महत्व रखता है। व्रती और उनके परिवार के सदस्य दिन में जल्दी स्नान करते हैं और प्रसाद रखने के लिए बांस के नए सूप और टोकरियां सजातें हैं। चावल, गन्ना, ठेकुआ,पकवान, ताजे फल, पेड़ा, मिठाई, गेहूं, गुड़, मेवा, नारियल, घी, मखाना, धान, नींबू, सेब, संतरा, बडी इलायची, हरी अदरक और सूप में तरह-तरह के सात्विक खाद्य पदार्थ रखे जाते हैं। ठेकुआ छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण प्रसाद माना जाता है जो मैदा, चीनी या गुड़ से बना होता है। जो प्रसाद के रूप में सबसे अधिक मात्रा में बनाया जाता है जो प्रसाद के रूप में वितरण भी किया जाता है। इसे बनाने के लिए पहले गरम घी या तेल से भरी कड़ाही में डाल कर सुनहरा होने तक तल लिया जाता है। जो व्रती के यहाँ उनके परिवार के अन्य सदस्य भी प्रसाद बनाने में भाग लेते हैं।
